मंगलवार, 1 अगस्त 2017

लब पे आती है दुआ बनके


लब पे आती है दुआ बनके

लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी ,
जिन्दगी सम्मह की सूरत हो खुदाया मेरी ।
दूर दुनिया का मेरे दम से अंधेरा हो जाये ,
हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाये ।
हो मेरे दम से यू हीं मेरे वतन की जीनत ,
जिस तरह फूलों से होती है चमन की जीनत ।
जिन्दगी हो मेरे परवाने की सूरत या रब ,
इल्म की सम्मह से हो मुझको मोहब्बत या रब ।
हो मेरा काम गरीबों से हिमायत करना ,
दर दमन्दों से जईफों से मोहब्बत करना ।
मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको ,
नेक जो राह हो उसी राह पे चलाना मुझको ।
लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी ,
जिन्दगी सम्मह की सूरत हो खुदाया मेरी ।




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