रविवार, 12 नवंबर 2017

Indeclinable-अव्यय-Hindi Grammer

अव्यय या अविकारी शब्द


अविकारी को अव्यय भी कहा जाता है।
अव्यय का शाब्दिक अर्थ बिना व्यय होता है। अर्थात बिना किसी खर्च के।

अव्यय की परिभाषा
" वे शब्द जिनके स्वरूप में लिंग , वचन , काल आदि के प्रभाव से कोई परिवर्तन नही होता हैं , अविकारी शब्द कहलाते हैं। "
अर्थात अव्यय शब्दों में किसी भी प्रकार का विकार नही होता है।
उदाहरण

कब , धीरे , तेज , यहाँ , वहाँ , वाह आदि


अव्यय के भेद या प्रकार
अव्यय के निम्न भेद होते हैं : -

  1. क्रिया विशेषण
  2. समुच्चयबोधक
  3. संबंध बोधक
  4. विस्मयादि बोधक

क्रिया विशेषण

परिभाषा : -
" वे अव्यय जो क्रिया की विशेषता , स्थान , रीति , समय , मात्रा बतलाते हैं , उन्हें क्रिया विशेषण कहा जाता हैं। "

उदाहरण

1. वह घोड़ा तेज दौड़ता है।
2. रमेश कल जाएगा।


क्रिया विशेषण के भेद
क्रिया विशेषण के चार भेद होते हैं : -

  1. काल वाचक
  2. स्थान वाचक
  3. रीति वाचक
  4. परिमाण वाचक


काल वाचक
इस प्रकार के क्रिया विशेषण से क्रिया के होने का समय ज्ञात होता है।
आज , कल , परसों , जब , अब , कब , सदा , बार - बार , तुरन्त , सवेरे , दिनभर , लगातार , पहले , बाद में , बहुधा , प्रायः , पीछे , अभी आदि काल वाचक क्रिया विशेषण के अंतर्गत आते हैं।

उदाहरण

1. तुम जयपुर कब जाओगे ?
2. कल हितेश की परीक्षा है।
3. धीरे - धीरे चलो।


स्थान वाचक
इस प्रकार के क्रिया विशेषणों से क्रिया के स्थान का बोध होता है।
बाहर , भीतर , आगे , ऊपर , नीचे , दाएँ , बाएँ , पास , दूर , निकट , पीछे , सामने , अंदर , यहाँ , वहाँ , यहीं , वहीं , इधर , उधर , बगल , चारों ओर आदि स्थान वाचक क्रिया विशेषण के अंतर्गत आते हैं।

उदाहरण

1. राम श्याम के बगल में बैठा है।
2. राधा गीता के पीछे - पीछे चल रही है।
3. ये पुस्तक कहीं रख दो।


रीति वाचक
इस प्रकार के क्रिया विशेषणों से क्रिया की रीति या शैली का बोध होता है।
इनमें क्रिया के निश्चय , अनिश्चय , स्वीकार , निषेध , कारण आदि अर्थ प्रकट होते है। हाँ , अवश्य , भी , मात्र , इसलिए , न , नहीं , मत , प्रायः , क्योंकि , सरासर , अतः , ठीक , सच , संभवत , फटाफट , कदाचित , भर , सचमुच आदि रीति वाचक क्रिया विशेषण के अंतर्गत आते हैं।

उदाहरण

1. वह सरासर झूठ बोल रहा है।
2. राम अवश्य आएगा।
3. राम नहीं आएगा क्योंकि उसकी माँ बीमार है।


परिमाण वाचक
इस प्रकार के क्रिया विशेषण क्रिया की मात्रा या परिमाण का बोध करवाते है।
ऐसे अव्यय क्रिया की न्यूनता , अधिकता आदि का बोध करवाते हैं।
जितना , उतना , अधिक , कम , कुछ , थोड़ा , लगभग , एक - एक , केवल , किंचित , काफी , बिल्कुल , बहुत , अतिशय आदि परिमाण वाचक क्रिया विशेषण के अंतर्गत आते हैं।

उदाहरण

1. राम ने बहुत पैसा कमाया।
2. जितना पचे उतना खाना चाहिए।
3. दिन में एक बार ज्यादा खाने से अच्छा है थोड़ा थोड़ा तीन - चार बार खाया जाए।


समुच्चयबोधक

परिभाषा : -
" वे अव्यय शब्द जो एक शब्द को दूसरे शब्द से , एक वाक्य को दूसरे वाक्य से अथवा एक वाक्यांश को दूसरे वाक्यांश से जोड़ते हैं , समुच्चय बोधक अव्यय कहलाते हैं। "
समुच्चय बोधक अव्यय के प्रकार
समुच्चय बोधक अव्यय के दो प्रकार होते हैं : -

  1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक

समानाधिकरण समुच्चयबोधक
ऐसे अव्यय शब्द जिनके द्वारा मुख्य वाक्य जोड़े जाते हैं।
इसके भी चार प्रकार होते हैं :-

  1. संयोजक
  2. विभाजक
  3. विरोध दर्शक
  4. परिणाम दर्शक

संयोजक : -
इस प्रकार के अव्यय दो पदों या वाक्यों को जोड़ते हैं।
इनमें तथा , और , एवं आदि शब्द आते हैं।
उदाहरण

1. राम , श्याम , हरि और विष्णु बहुत अच्छे लड़कें है।
2. सूरज अस्त हुआ और रात हो गई।


विभाजक : -
इस प्रकार के अव्यय दो या अधिक पदों या वाक्यों को जोड़कर भी अर्थ को अलग कर देते हैं।

उदाहरण

1. वह जाएगा या मैं जाऊंगा।
2. राम या श्याम कल आएगा।


या , अथवा , नहीं तो , वा , कि चाहे आदि शब्द आते हैं।
विरोध दर्शक : -
इस प्रकार के अव्यय पहले वाक्य या पदों का निषेध करते हैं।
इसमें परन्तु , मगर , लेकिन , वरन , बल्कि आदि शब्द आते हैं।

उदाहरण

1. मैं आता लेकिन घर पर जरूरी काम था।
2. वह बारात में जाएगा लेकिन रुकेगा नही।


परिणाम दर्शक : -
इस प्रकार के अव्ययों से यह जान जाता हैं कि दुआरे वाक्य का अर्थ पहले वाक्य के अर्थ का फल हैं।
इनमें अतः , सो , फलतः , अतएव आदि शब्द आते हैं।

उदाहरण

1. वह पढ़ा। नही इसलिए अनुत्तीर्ण हो गया।
2. सूरज अस्त हुआ इसलिए रात हुई।


व्यधिकरण समुच्चयबोधक
ऐसे अव्यय शब्द जो एक मुख्य वाक्य में एक से अधिक आश्रित वाक्य जोड़ते हैं।
प्रकार : -
व्यधिकरण समुच्चयबोधक के भी 4 प्रकार होते हैं : -

  1. संकेत वाचक
  2. उद्देश्य वाचक
  3. कारण वाचक
  4. स्वरूप वाचक

संकेत वाचक : -
इस प्रकार के अव्ययों से पूर्व वाक्य में जिस घटना का वर्णन रहता है उससे उत्तर वाक्य की घटना का संकेत हो जाता हैं।
इसमें तो , यद्यपि , यदि , जब - तब , तथापि , जो , चाहे आदि शब्द आते हैं।

उदाहरण

1. जब - जब धरती पर अत्याचार बढ़ा हैं तब - तब भगवान ने अवतार लिया हैं।
2. यद्यपि मैं वहाँ नही था तथापि पूरी घटना बता सकता हूँ।


उद्देश्य वाचक : -
इस प्रकार के अव्यय दूसरे वाक्य का उद्देश्य सूचित करते हैं।
इसमें जोकि , तोकि , इसलिए कि आदि शब्द आते हैं।

उदाहरण

1. श्याम आज नही आया जोकि होशियार लड़का है।
2. मैं कल बाजार जाऊंगा ताकि घटना का पता तो लगे।


कारण वाचक : -
इस प्रकार के अव्यव शब्दों से अपूर्ण वाक्यों का बोध होता है।
इसके अंतर्गत इसलिए कि , क्योंकि जो कि आदि शब्द आते हैं।

उदाहरण

1. राम आज नही आएगा क्योंकि वह बीमार है।
2. सोनू जयपुर गया है इसलिए वह घर पर नही मिलेगा।


स्वरूप वाचक : -
इस प्रकार के अव्यवों वाले वाक्यों में पहले व्वाक्य का स्पष्टीकरण दूसरे वाक्य से ही जाना जाता है।
इसके अंतर्गत की , यानि , जो , यदि आदि शब्द आते हैं।

उदाहरण

1. सुरेश कक्षा 5 में पढ़ता है जो एक होशियार लड़का है।
2. परेश को नौकरी मिल जाएगी यदि वह कठिन मेहनत करें।


संबंध बोधक

संबंधबोधक अव्यव प्रायः सर्वनाम या संज्ञा के बाद लगाए जाते हैं किंतु कभी - कभी सर्वनाम या संज्ञा के पहले भी आते हैं।

परिभाषा : -
" वे अव्यव जो संज्ञा या सर्वनाम के साथ लगकर उनका वाक्य के अन्य पदों या दूसरे वाक्यों से संबंध बताते हैं , संबंधबोधक अव्यव कहलाते हैं।

प्रकार
प्रयोग के आधार पर संबंधबोधक अव्यव दो प्रकार के होते हैं -

  1. सम्बद्ध संबंधबोधक अव्यव
  2. अनुबद्ध संबंधबोधक अव्यव

उत्पत्ति के आधार पर भी संबंधबोधक अव्यव दो प्रकार के होते हैं -

  1. मूल संबंधबोधक अव्यव
  2. यौगिक संबंधबोधक अव्यव

सम्बद्ध संबंधबोधक अव्यव
इस प्रकार के अव्यव संज्ञाओं की विभक्तियों के आगे आते हैं।

उदाहरण

1. खाने से पहले। 2. हाथ के बिना।


अनुबद्ध संबंधबोधक अव्यव
इस प्रकार के अव्यव संज्ञा के विकृत रूप के साथ आते हैं -

उदाहरण

1. दोस्तों संग 2. मजदूरों सहित


मूल संबंधबोधक अव्यव
इस प्रकार के अव्यव मूल शब्द होते हैं -

जैसे -

पूर्वक , समेत , बिना , पर्यंत , सहित आदि।



ये पोस्ट आपने पढ़ी क्या📌


यौगिक संबंधबोधक अव्यव
इस प्रकार के अव्यव अलग - अलग शब्दों से बनते हैं।

जैसे -

क्रिया से - लिए , करके संज्ञा से - नाम , विशेष , और , अपेक्षा विशेषण से - जैसे , जवानी , तुल्य


विस्मयादि बोधक

परिभाषा : -
ऐसे अव्यव जिनसे लेखक या वक्ता के मनोवेग यानि शोक , घृणा , उद्वेग , भय , विस्मय , आश्चर्य प्रकट हो , विस्मयादिबोधक अव्यव कहलाते हैं।

प्रकार -
निम्नलिखित प्रकार होते हैं -
शोक बोधक हाय! उफ! बाप रे,.....
घृणा बोधक छि:! धिक्! राम-राम,.......
आश्चर्य बोधक क्या ! सच! ओ हो!,..........
हर्ष बोधक शाबाश! अहा! वाह!,.........
इच्छा बोधक आशीष ! जय हो!,.......
संबोधन बोधक ऐ! अरे ! अरी!,.......
अनुमोदन सूचक वाह! ठीक! भला!,.....