हिन्दी व्याकरण :- क्रिया
क्रिया से वाक्य पूर्ण बनता है। क्रिया का अर्थ है करना।
वाक्य में कर्ता , कर्म तथा काल की जानकारी क्रिया पद से ही होती है।
हिन्दी भाषा का जन्म देववाणी संस्कृत से हुआ है तथा संस्कृत में क्रिया को ' धातु ' कहा जाता है।
परिभाषा
" वह शब्द जिससे किसी कार्य के होने या करने का ज्ञान हो , उसे क्रिया कहते हैं। "
धातु में ' ना ' जोड़ने पर हिन्दी के क्रिया पद बनते हैं।
जैसे -
लिख से लिखना
पढ़ से पढ़ना
उठ से उठना
सोच से सोचना
क्रिया के प्रकार
तीन आधारों पर क्रिया के भेद किये गए हैं -- कर्म के आधार पर
- संरचना के आधार पर
- काल के आधार पर
क्रिया शब्द के फल के आधार पर ; मतलब वह किसे प्रभावित कर रहा है, किया जाने वाला भेद इसके अंतर्गत आता है।
इस आधार पर क्रिया के दो भेद हैं -
- सकर्मक क्रिया
- अकर्मक क्रिया
परिभाषा :- " वह क्रिया जिसका फल कर्ता को छोड़ कर्म पर पड़े , सकर्मक क्रिया कहलाती हैं। "
उदाहरण
1.गीता गीत गा रही है।
2. हिमांशु पुस्तक पढ़ रहा है।
गीता क्या गा रही है तो उत्तर होगा - ' गीत ' तथा हिमांशु क्या पढ़ रहा है तो उत्तर होगा - ' पुस्तक ' ।
गीत और पुस्तक कर्म हैं।
पुनः सकर्मक क्रिया के दो भेद किये गए हैं -
- एक कर्मक क्रिया
- द्विकर्मक क्रिया
" जिस वाक्य में क्रिया के साथ एक ही कर्म प्रयुक्त हो , एककर्मक क्रिया कहलाती हैं। "
उदाहरण
मीना लिख रही है।
जया गा रही है।
इन वाक्यों में मीना द्वारा एक ही कर्म ' लिखना ' तथा जया द्वारा ' गाना ' हो रहा हैं।
(2) द्विकर्मक क्रिया
इस प्रकार के वाक्यों में क्रिया के साथ दो कर्म प्रयुक्त होते हैं।
उदाहरण
अध्यापक छात्रों को पुस्तक पढ़ा रहे हैं।
इस वाक्य में दो कर्म हैं। क्या पढ़ा रहे हैं - पुस्तक तथा किसे पढ़ा रहे हैं - छात्रों को।
(ख) अकर्मक क्रिया
इसका शाब्दिक अर्थ होता है - बिना कर्म के।
परिभाषा :- " वह क्रिया जो बिना किसी कर्म के वाक्य में प्रयुक्त हो अर्थात् जिस क्रिया का फल कर्ता पर ही पड़े , अकर्मक क्रिया कहलाती हैं। "
उदाहरण
१. रमेश पढ़ता है।
२. मोनू गाती है।
जब क्रिया का भेद वाक्य में क्रिया के प्रयोग तथा जिस रूप में किया जा रहा हैं ; के आधार पर किया जाने वाला भेद , संरचना के आधार पर भेद कहलाते हैं।
संरचना के आधार पर क्रिया के पाँच प्रकार हैं -
- संयुक्त क्रिया
- पूर्वकालिक क्रिया
- प्रेरणार्थक क्रिया
- नामधातु क्रिया
- कृदन्त क्रिया
1. संयुक्त क्रिया
" वह क्रिया जो दो या दो से अधिक धातुओं से बनकर नया अर्थ देती हैं अर्थात भिन्न अर्थ रखने वाली क्रियाओं कस मेल हो , संयुक्त क्रिया कहलाती हैं।
मुख्य क्रिया के साथ सहायक क्रियाएं एक से अधिक भी हो सकती हैं।
उदाहरण
1. हमने खा लिया हैं।
इसमें खा तथा लेना दो क्रिया हैं।
2. उसने उसे दे दिया था।
दे तथा देना क्रिया
2. पूर्वकालिक क्रिया
" जब किसी वाक्य में दो क्रियाएं प्रयुक्त हुई हो तथा एक क्रिया सम्पन्न हो गई हो तो पहले सम्पन्न होने वाली क्रिया , पूर्वकालिक क्रिया कहलाती हैं। "
उदाहरण
1. हितेश पढ़कर लिखेगा।
2. वह खाकर सोता है।
हितेश पहले पढ़ेगा और उसके बाद लिखेगा तथा खाने के बाद सोता हैं।
3. प्रेरणार्थक क्रिया
" जब कर्ता स्वयं कार्य न कर दूसरों से कार्य करवाये , उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहा जाता हैं। "
उदाहरण
1. भामाशाह ने गाँव में स्कूल बनवाई।
यहाँ भामाशाह न स्वयं स्कूल बनाने का कार्य न करके दूसरे लोगों को प्रेरणा देकर कार्य करवाया गया हैं।
4. नामधातु क्रिया
" वाक्य में जब संज्ञा , सर्वनाम , विशेषण धातु की तरह प्रयुक्त होते है , नामधातु क्रिया कहलाती हैं। "
उदाहरण
अपना (सर्वनाम) से अपनाना
हाथ (संज्ञा) से हथियाना
5. कृदन्त क्रिया
" वो क्रिया जो कृत प्रत्यय के योग से बनती है , कृदन्त क्रिया कहलाती हैं। "
उदाहरण
लिख - लिखना , लिखकर
खा - खाना , खाकर
चल - चलना , चलकर
काल / समय के आधार पर क्रिया के तीन भेद किये गए हैं -
- भूतकालिक क्रिया
- वर्तमानकालिक क्रिया
- भविष्यकालिक क्रिया
1. भूतकालिक क्रिया
" जिस क्रिया द्वारा बीते हुए समय में कार्य के होने का बोध हो , भूतकालिक क्रिया कहलाती हैं। "
उदाहरण
1. रमेश गाँव चला गया।
2. नीता ने बहुत अच्छा गीत गाया।
2. वर्तमानकालिक क्रिया
" जिस क्रिया से वर्तमान समय मे कार्य के होने का बोध हो , वर्तमानकालिक क्रिया कहलाती हैं।
उदाहरण
नीता गीत गा रही है।
गीता खेल रही है।
3. भविष्यकालिक क्रिया
" जिस क्रिया द्वारा किसी कार्य के आने वाले समय में होने का बोध हो , भविषयतकालिक क्रिया कहलाती हैं।
उदाहरण
हम सितम्बर में जयपुर जाएंगे।
"
सीता कल गाना गाएगी।